ख़्वाबों में, ख्यालों में
ख्वाहिशों में, और इन बरसातों में
कहा है वो जिसे ढूंढता हू इन काली रातो में ?
वो है भी यहीं,
और है भी नहीं|
ना जाने मिलेगी कैसे कोई जानता नहीं |
मेरी किस्मत में है दोष,
या हूँ अब भी मैं मदहोश,
नशा उसका ये उतरता ही नहीं |
अकेले रास्तों पर चलनेसे,
कभी काल्पनिकताओं में बातें करने से
गुज़र रहा है ये वक़्त मेरा,
क्या कभी ये सिलसिला ख़तम होगा नहीं?
क्यों होता है अक्सर ये मेरे साथ,
क्यों नहीं मिल पाता उसका साथ|
क्या है ये कशिश जो कभी कम होती नहीं?
क्या है ये उल्फत जो मुझसे झेली जाति नहीं?
प्यार, मोहब्बत, आशिकी, इबादत जो कहो इसे,
अब यही है मेरी कहानी|
वो मिले ना मिले अब उसी की है मेरी जिंदगानी|
Good one
LikeLike
Nice yarr
LikeLike